Saturday, June 11, 2011

मैं...


जब सुबह उठकर अपनी खिड़की खोलकर तुम अंगडाई लेते हो,
और सामने के पेड़ पर महका हुआ फूल हँसके बुलाता है तुम्हे
तो पता है, उसकी खुशबू में मैं होती हूँ....

जब मन लगाके काम करते हो.. खो जाते हो बड़ी बड़ी फाईलों मे,
तो सामने की झरोखे पे बेइंतेहा चहकने वाली चिडिया...
वो भी मैं ही हूँ...

जब कभी प्यार से अपने आँगन मे बीज लगाके, सींचते हो बड़ी उम्मीदसे,
और फिर एक दिन अनजान मेहमान बनकर उभर आते है दो पत्ते जमीन से,
वोह उम्मीद बनकर मैं ही तो रहती हूँ तुम्हारे मन मे..

जब भीगते हो बारीश की बड़ी बड़ी बूंदों मे बढ़िया से आइसक्रीम लेके,
वो जो बूंदे गिरती है आइसक्रीम पर, और हो जाती है मीठी मिठीसी,
उस पिघलती मिठास मे भी तो हूँ मैं ...

कभी छोटे बच्चे की तरह फ़ेंक देते हो अपनी गुडिया
और फिट ढुंढ्ते हो घर भर बेचैन होके,
तब रूठकर कोने मे छिपने वाली गुडिया भी मैं ही हूँ...

जब दुःख आ मिले अनजान मोड़ पर और आसू बहाने के लिए दामन ना मिले किसीका,
तो जिस तकिये पर सर रखकर रोते हो...
वो भी तो कोई और नही... मैं ही हूँ....

मैं... हूँ कहा ????
इस आसमान से उतरके धरती को चूमने वाले इन्द्रधनुष की तरह...

और ये शब्द पढ़ते पढ़ते मन मे जो खुशी के ख्याल आते है तो वह भी हूँ मैं..

मैं कोई चेहरा थोडी न हूँ जो दिखायी दे
.. मैं तो हूँ जीवन जो बहता रहता है
.. मैं तो हूँ बादल जो बरसता रहता है...

मैं हूँ वो याद, जो हर दिन नयी कहानी कहती है...
मैं हूँ वोह बात, जो हर जबानी रहती है...

क्या यही हूँ मैं,,, ??? या फिर कुछ और भी???
उस मुट्ठीभर रेत की तरह,
जो हाथ तो आती है.. मगर थोडी थोडी सी ... :)

- भक्ती आजगावकर




6 comments:

  1. वाह भक्ति !
    शेवटी ब्लॉग सुरु केलास !
    ब्लॉगजगतात तुझं हार्दिक स्वागत !:)
    कविता छानच आहे !
    पुढील लिखाणास हार्दिक शुभेच्छा ! :)

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  2. अभिनंदन.. शेवटी तू ब्लॉग सुरु केलास :)

    अशीच लिहत रहा. पुलेशु !!

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  3. भक्ती: अगदी लाजवाब...
    बंद दारावाज्याआडून 'ठाक ठाक' वाजावं आणि आपण उत्सुकतेने दार उघडाव... आणि समोर दिसावं तुझ नव रूप... तू थोडीशी आत येता येताच परत जाव ... मनी हुरहूर ठेऊन... आणि परत एका क्षणी वाजावं दार 'ठाक ठाक'... आणि परत नव रूप ... पण तसंच दिलखेचक ...
    हा हा हा ... प्रत्येक कडव असच झुळझुळतय ... आणि माझे डोळे पुढे वाहत चाललेल्या आठवणी बघू की मागून वाहत येणाऱ्या सुंदरता बघू मध्ये नाचणारे.. तू 'जो हाथ तो आती है.. मगर थोडी थोडी सी ...' वाह!
    (फक्त तो well, आवडला नाही... उठून दिसतो काट्यासारखा, तिथे 'क्या' कसा वाटेल? काय माहित बहुधा टेस्ट चेंज होईल)

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  4. Replies
    1. धन्यवाद अन स्वागत ..!!

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