Friday, August 26, 2011

कुछ दिल में है


वह मोड़ कोई अनजाना था
कुछ गुजर गया.. कुछ दिल में है !!
सदियों से थमा जमाना था 
कुछ गुजर गया.. कुछ दिल में है !!

एक पेड़ जिनके शाखोंपर 
फूलोंके सपने खिलते थे .. 
काँटों का अपना फ़साना था 
कुछ बिखर गया.. कुछ दिल में है !! 

एक मंजर वो भी सुहाना था
लहरें साहील को चूमती थी..  
अब एक अकेला साहील है 
कुछ बह सा गया.. कुछ दिल में है !! 

आंसू की अपनी कहानी है 
पिछले सावन की निशानी है .. 
उस दर्द से रिश्ता पुराना है 
कुछ भूल ही गया.. कुछ दिल में है !!!

भक्ति आजगावकर


Tuesday, August 23, 2011

श्यामा


दु:ख दाटते रोमरोमी
अंधार दाटतो गात्री
"श्यामा" झाली राधा
सोसुनी श्याम विरही रात्री !!!

शाम विरही रात्रीचा
अवघा एक सहारा
अंधार सारा मनात
नयनात शुक्र तारा ... !!!

शुक्र तारा बोलतो
आस हि मोडू कशी.. .
श्वास या हृदयी जसा
मुरली धून भिनली तशी !!

धून एक अंतरी
कृष्ण कृष्ण कृष्ण नाम ..
विसरले कालिंदी ला
विसरले गोकुळ ग्राम !!


नित्य गोकुळी आता
कृष्ण रास चालतो ..
भक्तीच्या ऋणी कान्हा
नाव राधाकृष्ण लावितो !!!

- भक्ती आजगावकर


छायाचित्र आंतरजालाहून साभार!! 



Saturday, August 13, 2011

भावकणिका

कोऱ्या राहिलेल्या पानांचीच
माझी  एक वही आहे...
त्या त्या वेळच्या मौनाने
ते स्वताहून दिलेली सही आहे ...!!!

- भक्ती आजगावकर 

Friday, August 12, 2011

जीवन!!


अक्सर यही होता है .. 
पता नही चलता कहां जाना है.. कब जाना है 
और जिन्दगी गुजर जाती है ...!! 
बिलकुल उन लहरों की तरह .. 
न कोई स्वतंत्र अस्तित्व होता है उनका...
न कोई आदि न अंत ..!!
बस आती है और बहा ले जाती है .. 
हम देखते रहते है और समझ नाही पाते,  
के कब हम उनमे समा गए ..!!
बस हाथ आती है..
कुछ स्वर्णमयी रेत और कुछ जलबिंदु 
वो भी हाथ से फिसलते हुए .. 
कभी कभार कोई सीपी भी,  
और मन में आशा सी जगती है ...
के शायद कोई मोती हो ..!! 
बस बहता है.. बहता जाता है जीवन 
और पता नही चलता कब .. 
अपनी सीपी बंद करने की घड़ी आ गयी ..
कब मिट जाना होगा हमें ... !!
सचमुच किसी को खबर नही होती 
कोई सीपी अपने आप में मिटकर 
इस अथांग सागर में कब गुम हुई .. !!
बस आसपास कुछ बुन्दोंमे हलचल सी होती है ... 
पर पल दो पल में ही वो स्वयं में घुलकर 
बना लेती है खुद को इतना विशाल ..
के कोई कमी न रहे...  
बस फिर नयी बुँदे नयी लहर 
और जीवन बहता रहता है .. !!! 

- भक्ति आजगावकर 




Monday, August 8, 2011

तगमग



का ही अशी तगमग 
आणि वेडा अट्टाहास.. 
कातरल्या वेळी अश्या 
मनी चांदण्याचा भास !!

यायचे न आज कुणी
वाट वाहे सुनी सुनी.. 
तरी वारा रुंजी घाले 
अडवितो अर्धा श्वास !! 

मानेभोवती स्वत:च्या  
आपलाच करपाश.. 
सोसवेना आता तरी 
नव्या वेदनेचा ध्यास !!

अष्टौप्रहर असा हा 
खेळ चाले प्राक्तनाचा.. 
माझ्या श्वासासंगे चाले  
तुझ्या आठवांचा रास !!! 

- भक्ती आजगावकर 




Saturday, August 6, 2011

Without You!!!

Day started with hope to see you today
& see the road is taking me opposite way !!
Life has always so much to offer..
Why sometimes we beg to differ !!! 
Why the singing bird don't entertain anymore
Why the rainbow don't flaunt the colorful cover...
Why the blissful morning yet don't shine bright
Why one find shelter in dark of night...
Why the mere existence doesn't seem to be "Me"
The only reason i can find is "YOU" are not with me !!! 

- Bhakti Ajgaonkar 


Wednesday, August 3, 2011

"कॅफे कॉफी डे" - हिंदी



सारे कॉफीप्रेमी अन "कॅफे कॉफी डे" प्रेमीं को समर्पित ....   

हलके से आंखोंसे छुटे.. ये दिल कॉफी पे जा बैठे 
कितने सपने जीवन के.. इस झाग मे खिले और टुटे

दु:ख के एक घुट जैसी.. एक्स्प्रेस्सो की कडवी जंग.. 
कॅपुचिनो की साथ हरदम शक्कर, दुध और क्रीम संग   

लॅंटे की मनमोहक खुशबू कॉफी का असली खुमार 
पंचेद्रीयोन्से मजे लो ये स्वर्ग ही जैसे धरती पर 

ऐसे सिखाये इक कप कॉफी जिने का ढंग.. समझो तो 
माहोल "कॅफे कॉफी डे" का.. इक बार आजमाओ तो !!!   

- भक्ती आजगावकर

Tuesday, August 2, 2011

"कॅफे कॉफी डे"


सार्‍या कॉफीप्रेमी अन "कॅफे कॉफी डे" प्रेमींसाठी समर्पित ....  

अलगद निसटुनी डोळ्यामधुनी हृदय तरंगे कॉफी वरती  
कितीक स्वप्ने आयुष्याची फेसावर उमलती न विरती !!!

गंध कडक हा एक्स्प्रेसो चा कडू घोटासह दु:ख जरी 
कॅपुचिनो ची सदैव सोबत साखर दुध न क्रीमसोबती !!! 

लॅंटे चा एक घोट मनस्वी गंध चव कॉफीची खरी 
पंचेद्रीयांनी उपभोगावी स्वर्गच जणू धरेवरती !!! 

अशी शिकवते एकच कॉफी जगण्याची रीत ही न्यारी 
माहोल "कॅफे कॉफी डे" चा मिठ्ठाससे क्षण स्मरती !!!  

- भक्ती आजगावकर